25 मई 2025 से नौतपा की शुरुआत हो रही है, जो वर्ष के सबसे गर्म नौ दिनों की अवधि मानी जाती है। ज्येष्ठ माह में सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही नौतपा आरंभ होता है। यह अवधि न सिर्फ भीषण गर्मी लेकर आती है, बल्कि मानसून की दिशा और तीव्रता को भी तय करने वाली मानी जाती है।
क्या है नौतपा?
नौतपा एक ज्योतिषीय अवधारणा है, जिसमें सूर्य देवता रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। इस वर्ष सूर्य 25 मई को सुबह 9:40 बजे रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और नौतपा की शुरुआत होगी, जो 3 जून तक चलेगा। इस दौरान सूर्य की किरणें धरती पर सीधी (लंबवत) पड़ती हैं, जिससे तापमान चरम पर पहुंच जाता है।

नौतपा और बारिश का संबंध
जाने-माने ज्योतिषाचार्य आचार्य आनंद दुबे बताते हैं कि यदि नौतपा के दौरान प्रचंड गर्मी पड़ती है, तो समुद्री जल का वाष्पीकरण तीव्र गति से होता है। इसका परिणाम यह होता है कि घने बादल बनते हैं और मानसून के समय अच्छी वर्षा के आसार बनते हैं।
हालांकि, यदि नौतपा के दिनों में ही समुद्री क्षेत्रों में बारिश हो जाती है, तो वाष्पीकरण की प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे बादलों का निर्माण कम होता है और बारिश की संभावना घट जाती है।
नौतपा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य बलवान होता है, तो वह व्यक्ति जीवन में अपार सफलता, यश और मान-सम्मान प्राप्त करता है। नौतपा की अवधि में सूर्य देव की पूजा और साधना से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और जीवन में शुभ परिवर्तन आते हैं।
किसानों के लिए उम्मीद की किरण
नौतपा का सीधा संबंध मानसून से होने के कारण, यह किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। अगर नौतपा के दौरान मौसम शुष्क और गर्म रहता है, तो अच्छे मानसून की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे खेती-किसानी को लाभ होता है।
निष्कर्ष: नौतपा सिर्फ एक जलवायु संबंधी घटना नहीं, बल्कि यह प्रकृति और ज्योतिष के संतुलन का प्रतीक है। सूर्य की प्रखरता जितनी अधिक होगी, मानसून उतना ही बेहतर हो सकता है। ऐसे में सूर्य की उपासना और प्रकृति के संकेतों को समझना, एक बेहतर भविष्य की दिशा में मार्गदर्शक बन सकता है।
अधिक जानकारी और वैदिक उपायों के लिए अवश्य देखें: आचार्य आनंद दुबे की आधिकारिक वेबसाइट।