Vat Savitri Vrat and Somavati Amavasya today: A special festival for the wish of everlasting good fortune.

व्रत की महिमा और ज्योतिषीय महत्व पर बोले आचार्य आनंद दुबे

आज सोमवार, 26 मई को वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है। परंपरागत मान्यता के अनुसार, महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं और कच्चे सूत से उसकी परिक्रमा करती हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में मजबूती और समृद्धि आती है।

ज्योतिषाचार्य आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि वट सावित्री व्रत इस वर्ष 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से प्रारंभ होकर 27 मई की सुबह 8:31 बजे तक रहेगा। इस अवधि में महिलाएं अपनी श्रद्धा और सुविधा के अनुसार व्रत और पूजन कर सकती हैं।

आचार्य दुबे जी के अनुसार, “ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पर वट वृक्ष की पूजा दोपहर के समय करना विशेष फलदायी होता है। इस दिन चंद्रमा कृतिका नक्षत्र और मेष राशि में रहेंगे, और दिन में 1:40 बजे के बाद वृषभ राशि का संयोग बनेगा। इसके साथ ही बध आदित्य योग और मालव्य योग जैसे शुभ संयोग भी बन रहे हैं, जो व्रत के पुण्य फल को कई गुना बढ़ा देते हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि जो महिलाएं उदया तिथि का पालन करती हैं, वे मंगलवार 27 मई को सूर्योदय से लेकर सुबह 8:31 बजे तक पूजन कर सकती हैं।

पूजन विधि के अनुसार, महिलाएं वट वृक्ष की 7, 21 या 108 बार परिक्रमा करती हैं और कच्चा सूत लपेटती हैं। इससे रिश्तों की डोर मजबूत होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

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🌳 इस व्रत के माध्यम से महिलाएं न केवल पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करती हैं, बल्कि यह दिन भारतीय संस्कृति में स्त्री शक्ति और पतिपरायणता का प्रतीक भी है।

संपूर्ण भारतवर्ष की सहागिन महिलाओं को वट सावित्री व्रत की शुभकामनाएं!

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